Saturday, December 27, 2008

अगर तुझमें है महत्वाकांक्षा ....

अगर तुझमें है महत्वाकांक्षा....
तो जीत लो पहले ख़ुद को
फिर खुदाई , तब खुदा को,
दिल में हो उमंग जवानी का
सच जीवन की कहानी का
झूठ हो तो भी गम नहीं
सबकुछ जीतना ही है अच्छा
अगर तुझमें है महत्वाकांक्षा ॥

सफर में मिलेंगे तुझे दोस्त
मिलेंगे तुझे दुश्मन भी
अपनों का दिया अपनापन तथा,
गैरों का दिया गम भी
महत्वाकांक्षी हो तो उठो ऊपर
खुशिओं का हाथ थामें ,
यूँ खुशीआं ग़मों की आत्मा हैं .
पूरी जरूर होगी तेरी हर आकांक्षा
अगर तुझमें है महत्वाकांक्षा ....

भावना का ये दामन नही छूटेगा
प्यार का ये बंधन नही टूटेगा
फिक्र क्यों करता ओ नादान
मान सके तो कहना ये मान
आग भर दिल में अपनी
हाँ की शक्ति का कर विकास
दिल में हो तो बस एक ही प्यास
पूरा करेंगे सपना पूरी करेंगे आस
पूरी जरूर होगी तेरी हर आशा
अगर तुझमें है महत्वाकांक्षा.....

जन्म ग्रहण हुआ है तो
मृत्यु भी प्राप्त होगी ही
संघर्ष की गई हो तो
जुड़ी है सफलता साथ ही
गणितीय परिमाण से बाहर निकल
दंभ अभिमान से बाहर निकल
उत्साह उन्माद में न बदल जाए कहीं
हरदम ये ख्याल कर
होगा अनुरूप जैसी तेरी हर अभिलाषा
अगर तुझमे है महत्वाकांक्षा ॥

आर के जुगनू द्वारा रचित महत्वाकांक्षा कविता संग्रह से उध्रीत कविता का एक अंश .....

No comments:

Post a Comment