हकीकत में वो ख्वाब ही था,
जो देखा था तुमने उस रात.
गुड की मिठास के क्या कहने,
रक्त में नही वो बात
होता होगा खून मीठा ...
पर हमने चखा नही..
जो बात मुहब्बत में है..
वो किसी और जज्बे में नहीं .
गोलियाँ तो चली थीं वहां ...
ये भी सच है...
मरा था कोई अपना ही ॥
ये भी सच है
पर क्या वो ख़ुद मरा ?
या मारा गया?
जो गद्दी पर बैठे थे...
उनका क्या गया ?
मैडल और दिलासा दे कर
कर दिया पूरा अपना काम
बस ...
एक और शहीद हो गया॥
अपनी मिटटी के नाम...
बिलखती है उसकी बेवा ...
बच्चे अनाथ , बुधे माँ और बाप...
बिलखती है वो गलियां जहाँ ...
सीखे उसने ये गुर
और सीखा अपना मान
ये वतन उनकी है...
जो देते हैं कुर्बानी
जो दे देते हैं अपनी जान
क्या मिला उनको ?
एक मैडल थोड़ा सा नाम ?
यहाँ तो जान की कीमत भी अलग है
अलग अलग हैं इनाम
कोई मरे तो परम वीर चक्र
कोई मरे तो शहीद का नाम
क्या कहूं कितना कहूँ
दुख से ये दिल रोता है
दिन रात और रात दिन
यही कहता है
और यही होता है
जान की कीमत कुछ भी नही ...
आन की कीमत कुछ भी नही
अनमोल हैं ये सब ,
अनमोल है जमीर
फर्ज करो की लड़ना है अब ...
सोंचो क्या तैयार हो सब ?
मक्की की मोटी रोटी ,
तंदूर की सुलगती आग
कह रही है बार बार...
पेट की भूख तो मिटा लोगे अब
क्या होगा ज़ंग का सबब ...
जीत मिलेगी या मिलेगी हार
जो चला जाएगा
वो नही आयेगा अगली बार
चाहे सरहद के इस पार
चाहे सरहद के उस पार
कहते हैं ...
सरहद पर भी लोग ही बसते हैं
अगर सच है तो
वो लोग भी यही कहते होंगे
यही सहते होंगे ...
पर ये बात दूसरी है की हम वो नही
जो वो चाहते हैं और
वो वो नही जो हम चाहते हैं
ये तो सियासी बातें हैं ...
दरअसल...
वो लोग भी वही चाहते हैं...
जो हम चाहते हैं ...
हम सब अमन चाहते हैं।
Monday, January 19, 2009
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हिंदी लिखाड़ियो की दुनिया मे आपका स्वागत । अच्छा लिखे।मां भारती का नाम रोशन करे। हजारों बधाई।
ReplyDeleteस्वागत है !
ReplyDeleteवार की यंत्रणा को भोगती सामयिक रचना
ReplyDeleteस्वागत है आप का
बहुत अच्छा! सुंदर लेखन के साथ चिट्ठों की दुनिया में स्वागत है। चिट्ठाजगत से जुडऩे के बाद मैंने खुद को हमेशा खुद को जिज्ञासु पाया। चिट्ठा के उन दोस्तों से मिलने की तलब, जो अपने लेखन से रू-ब-रू होने का मौका दे रहे है का एहसास हुआ। आप भी इस विशाल सागर शब्दों के खूब गोते लगाएं। मिलते रहेंगे। शुभकामनाएं।
ReplyDeleteachchhi kavitaa swaagat hai aapaka
ReplyDeletebahoot achhi kavita hai .shabdo tilasmi duniya me apka swagat hai. virendra s yadav
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